मुकुल सूर्यवंशी, संपादकीय :- पोले के मौके पर आंबेडकरवादी किसानों द्वारा अपनी बैलजोड़ी लेकर गांव के सामुहिक पोला मिरवणूक निकालने की जगह पर उपस्थित होने को लेकर मनुमानसिकता के जातिवादी लोगों ने उन किसानों की पिटाई करते हुए जाती के आधार पर उनपर हिंसा की थी. किसानों के साथ उनके परिवार की महिलाओं के साथ भी हिंसा को अंजाम दिया गया था. महाराष्ट्र की सेक्युलर सरकार बदलते ही राज्य में कट्टरपंथियों ने उन्माद मचाना शुरू कर दिया है. राज्य में जातिवादी हिंसा का एकमात्र कारण है राज्य की नवनिर्वाचित सरकार ने खुद को कट्टर हिंदू घोषित किया जाना.
घटना महाराष्ट्र के धुले तहसील में मेहरगांव की हैं. जहां स्थानीय ‘आतंकवादियों’ अपने ही गांव की पूरी बौद्ध आबादी का बहिष्कार किया गया है. इसके अलावा गंभीर बात यह है कि गांव के दलित परिवार ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने दलित समुदाय के युवाओं के खिलाफ भी गंभीर अपराध दर्ज किए हैं.
इस संबंध में बौद्ध समुदाय ने उनके साथ हुए अन्याय को लेकर जिला प्रशासन को लिखित बयान भी दिया था. इसमें कहा गया, ‘दलित युवकों द्वारा मेहरगांव में बेलजोड़ी पूजा के अवसर पर निकाले गए जुलूस को कुछ जातिवादियों ने रोक दिया. उन्होंने लाठियों से हमला कर बौद्ध बान्धवों को गंभीर जख्मी किया. इसके बाद पुलिस ने संबंधित के खिलाफ एट्रोसिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज तो कर लिया. लेकिन सांठगांठ के चलते अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.
उलटा मनुवादियों के समुदाय ने गांव में बैठक कर पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाया और बौद्ध समुदाय के युवाओं के खिलाफ 395 जैसा गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कराया. मामले की गंभीरता को समझते हुए देश की महामहिम राष्ट्रपति को इस विषय पर संज्ञान लेना चाहिए. पीआर न्यूज इस मामले में प्राथमिकता से खबर कवरेज कर रहे हैं. उपरोक्त मामले से महाराष्ट्र की अस्मिता को विश्वस्तर पर चोंट पहुंचीं है.