कभी सुनी है रंगबिरंगी मक्के – भुट्टे की खेती, पढ़े कहां मिलती है ऐसी मकई..!

पीआर न्यूज, किसान ब्यूरों :- भारत में मक्के की खेती मध्य प्रदेश और कर्नाटक में सबसे ज़्यादा (15%) की खेती क्षेत्र में होती है। इसके बाद बिहार (12%), महाराष्ट्र (10%), राजस्थान (9%), उत्तर प्रदेश (8%) और अन्य हैं। कर्नाटक और मध्य प्रदेश के बाद बिहार सबसे बड़ा मक्का उत्पादक राज्य है। भारत में, मक्का पारंपरिक रूप से मॉनसून (खरीफ़) में उगाया जाता है, जो उच्च तापमान (35 डिग्री सेल्सियस) और वर्षा के साथ होता है। हालांकि, समय और तकनीक के साथ, मक्का/मकई की सर्दियों की खेती एक विकल्प के रूप में उभरी है।
मक्का – मकई की किस्में
मकई की कई किस्में होती हैं। इनमें से पांच मुख्य क़िस्में हैं – स्वीट कॉर्न, फ्लोर कॉर्न, पॉपकॉर्न, फील्ड कॉर्न और फ्लिंट कॉर्न। अन्य श्रेणियों में मोमी मकई, सजावटी मकई और पॉड मकई शामिल हैं। रंगीन मकई को फ्लिंट कॉर्न (Flint corn) भी कहा जाता है।
भारत में, हमें उत्तर पूर्वी राज्यों की यात्रा करने और इस खज़ाने को खोजने की ज़रूरत है। उत्तर-पूर्व के लोग लंबे समय से रंगीन मकई की इन किस्मों की खेती कर रहे हैं। ये मुख्य रूप से मिज़ोरम में पाई जाती हैं। ये स्थानीय लोगों के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं। इनका उपयोग दैनिक खाना पकाने और पारंपरिक मिठाइयों में किया जाता है। हालांकि, रंगीन मक्के की खेती कर्नाटक में आदिवासी समुदायों द्वारा भी की जाती है।

मक्का (भुट्टा) – फाइल फोटो

रंगीन मक्का क्या है?
आपने पीली मकई देखी होगी, इस्तेमाल की होगी, खाई होगी और खूब आनंद भी लिया होगा। अब रंगीन मकई के बारे में भी जान लीजिये। ये लाल, नीले, बैंगनी और काले रंगों में उपलब्ध है। मानो या न मानो, लेकिन रंगीन मक्के की खेती 3 हज़ार से अधिक वर्षों से की जाती है और प्राचीन काल में ये हमारी खाद्य प्रणाली का एक प्रमुख हिस्सा रहा है। आज, भारत के मिज़ोरम में ये बड़े पैमाने पर उगाए जाते हैं। मिज़ोरम के स्थानीय लोग वर्षों से इन किस्मों की खेती कर रहे हैं।

रंगीन मक्का को रंग कहां से मिलते हैं?
ये रंगीन मकई दिखने में स्वाभाविक लगती है और इसका वैज्ञानिक पहलू भी है। बेशक, इन रंगीन मक्कों की कुछ विशेष होती है। फेनोलिक और एंथोसायनिन तत्व मक्के के रंग को प्रभावित करते हैं। ये पानी में घुलनशील पौधे वर्णक हैं, जो कई पौधों के नीले, बैंगनी और लाल रंग के होने का कारण हैं।
मक्के को रंगों के आधार पर तीन श्रेणियों में बांटा गया है। पहली श्रेणी में है बैंगनी मक्का, दूसरी श्रेणी में नीला मक्का और तीसरी श्रेणी में लाल मक्का आता है। एंथोसायनिन मुख्य रूप से बैंगनी मक्का के मोटे पेरीकार्प में मौजूद होता है। नीले मक्के में, पेरिकार्प पतला होता है, इसलिए ऐल्यूरोन परत में एंथोसायनिन वर्णक मौजूद होता है।
लाल मक्के के विभिन्न क्षेत्रों में एंथोसायनिन वर्णक मौजूद होता है, जो इसे अलग-अलग रंग देता है। हल्के लाल रंग के मक्के में पेरिकार्प में एंथोसायनिन होता है। मैजेंटा रंग के मक्के में पेरिकार्प के साथ-साथ एलुरोन परत में एंथोसायनिन वर्णक मौजूद होता है।
*उपरोक्त जानकारी अलग – अलग राज्यों से अर्जित की है. उचित जांच पड़ताल के बाद ही व्यावहार करे. पीआर न्यूज किसी तरह की ग्यारंटी नहीं देता.

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