बेमौसम बारिश से अनाज हो सकता है महंगा, मंडियों में नजर आ रहा खराब गेहूं …

पीआर न्यूज ब्यूरों, नई दिल्ली :- पिछले दिनो से देशभर में बारीश ने दस्तक दी थी। देश के उत्तर-मध्य भारत में हुई तेज बारिश का असर इन दिनों उत्तर और मध्य भारत की मंडियों में देखने को मिल रहा है। मंडियों में पहुंच रही गेहूं की फसलों में गुणवत्ता में भारी गिरावट देखी जा रही है। बेमौसम हुई बारिश और ओलों के कारण इन फसलों को भारी नुकसान हुआ है। इसी कारण की गेहूं की कीमत १,९०० से २,०५० रुपये क्विंटल मिल रही है, जो वित्त वर्ष २०२३-२४ के लिए तय २,१२५ प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी कम है। हालांकि जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में गेहूं की स्थिति थोड़ी सुधरने की उम्मीद है। गेहूं में नमी कम होने पर उसकी बेहतर कीमत मिल सकेगी।
रबी की अन्य फसल जैसे चने के बारे में कारोबारियों का कहना है कि बेमौसम हुई बारिश के कारण कुछ फसलों को नुकसान हुआ है। उनकी उपज १० से १५ फीसदी तक घटी है। इसकी वजह से इसकी कीमत ४,६०० से ४,७०० रुपये प्रति क्विंटल की जगह पिछले कुछ दिनों से कीमत इसके न्यूनतम समर्थन मूल्य ५,३३५ रुपये प्रति क्विंटल के करीब पहुंच गई है। फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि अगर कोई किसान ऐसा गेहूं ला रहा है, जो बारिश से प्रभावित नहीं हुआ है और वह अच्छी गुणवत्ता का है तो उसकी कीमत मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में आराम से २,५०० से २,६०० रुपये प्रति क्विंटल मिल रही है। पिछले सप्ताह तक गेहूं में नमी की मात्रा करीब १५ फीसदी थी। लेकिन मौसम के साफ होने के बाद यह घटकर ११.५ से १२ फीसदी रह गई है।

वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों का कहना है कि बेमौसम बारिश और ओलों से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य पंजाब में १३ लाख हेक्टेयर गेहूं प्रभावित हुआ है। जहां गेहूं का कुल रकबा २५ लाख हेक्टेयर है, इसमें से एक लाख हेक्टेयर गेहूं करीब ७० से १०० फीसदी नष्ट हो गया है। अगर अगले कुछ दिनों में मौसम साफ हो जाता है और अच्छी धूप होती है, तो ही गेहूं साफ हो जाएगा और गुणवत्ता में गिरावट कम हो जाएगी। बारिश से प्रभावित राज्यों के किसानों को चाहिए कि वे अपने खेतों से तत्काल प्रभाव से पानी निकलें, जिससे जमींदोज हुई फसल को बचाया जा सके और उन्हें जल्दबाजी में कोई फसल नहीं काटनी चाहिए।

बेमौसम बारिश से गेहूं – चना जैसी फसलों को हुआ नुकसान
इधर, केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि प्रमुख उत्पादक राज्यों में हाल में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं की करीब ८.१० फीसदी फसल खराब होने का अनुमान है। लेकिन देर से बुवाई वाले क्षेत्रों में बेहतर उपज की संभावना से उत्पादन में होने वाले नुकसान की भरपाई की उम्मीद है। कृषि आयुक्त पी के सिंह ने कहा कि हाल के खराब मौसम के बावजूद कृषि मंत्रालय के दूसरे अनुमान के अनुसार इस साल देश का कुल गेहूं उत्पादन रिकॉर्ड ११.२२ करोड़ टन पर पहुंच जाएगा। बारिश से ८.१० फीसदी गेहूं की फसल को नुकसान होने का अनुमान उन क्षेत्रों में लगाया गया है, जो ओलावृष्टि, आंधी और तेज हवाओं के कारण पौधों के जमीन पर गिरने से हुआ। इस साल देश में कुल ३.४ करोड़ हेक्टेयर गेहूं बोए जाने के मद्देनजर गेहूं को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है।

बारिश के कारण यूपी समेत इन राज्यों की फसलें हुई खराब
कृषि मंत्रालय ने चालू फसल वर्ष २०२२-२३ जून-जुलाई में रिकॉर्ड ११.२२ करोड़ टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया है। पिछले साल, बेमौसम बारिश और गर्मी की लू चलने के कारण घरेलू गेहूं के उत्पादन में गिरावट आई, जिससे सरकार को बढ़ती घरेलू कीमतों को रोकने के लिए निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा। राज्यों के आंकड़ों के अनुसार, खराब मौसम के कारण मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में लगभग ५.२३ लाख हेक्टेयर गेहूं की फसल खराब होने का अनुमान है। पंजाब और हरियाणा में नुकसान का आकलन अब भी चल रहां है।

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