उइगर मुस्लिमों से चीन का ऐसा सलूक? – महिलाओं से दुष्कर्म, पुरुषों की नसबंदी, उइगर भाषा बोलने पर बैन!

एजेंसी न्यूज :- चीन के विरोध के बाद भी संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट जारी की जिसके मुताबिक चीन में उइगर मुस्लिमों की स्थिति काफी चिंताजनक बताई है। रिपोर्ट में चीन के शिनजियांग प्रांत में ‘मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन’ की बात सामने आई है। इसके साथ ही चीन से इस पर लगाम लगाने को कहा गया है।
इससे पहले भी कई मानवाधिकार समूहों की रिपोर्टों में भी इसका खुलासा हो चुका है। इन रिपोर्ट्स के मुताबिक, करीब 10 लाख से ज्यादा उइगर मुस्लिम चीन की कैद में हैं। इसके लिए चीन ने शिनजियांग प्रांत में री-एजुकेशन कैंप बनाया है। यहीं पर ट्रेनिंग देने के नाम पर मुसलमानों को प्रताड़ित किया जाता है।
कौन हैं उइगर मुसलमान?
चीन में उइगर मुसलमान अल्पसंख्यक तुर्क जातीय समूह से संबंध रखते हैं। कहा जाता है कि ये मूल रूप से मध्य और पूर्व एशिया से चीन में आए थे। चीन के शिनजियांग प्रांत में इनकी आबादी कई लाख की है। ये तुर्की भाषा बोलने में सहज हैं। चीन में जिन 55 अल्पसंख्यक समुदायों को आधिकारिक मान्यता मिली है, उइगर उनमें शामिल हैं। मानवाधिकार समूहों की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अकेले शिनजियांग प्रांत में 10 लाख से अधिक उइगर मुसलमानों को डिटेंशन सेंटर्स में कैद करके रखा गया है, जहां चीनी अधिकारी उनसे अमानवीय तरीके से पेश आते हैं।

उइगर मुसलमान – फोटो सोशल मीडिया


क्या कहती है संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट?
संयुक्त राष्ट्र की 45 पेज की ये रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) के कार्यालय की प्रमुख, मिशेल बाचेलेट ने जारी की है। मिशेल इस साल की शुरुआत में चीन के दौरे पर गई थीं। चीन में इस तरह का दौरा करने वालीं मिशेल पहली मानवाधिकार अधिकारी हैं। इस दौरे के दौरान विवाद भी हुआ था। कहा गया था कि चीन ने जिस तरह की शर्तें रखीं है उससे चीन के वास्तविक और स्वतंत्र हालात का पता नहीं लगाया जा सकता है।
संयुक्त राष्ट्र की टीम ने दौरे के दौरान 40 उइगर, कजाख और किर्गिज समुदाय के लोगों का इंटरव्यू किया। इनमें से 26 ऐसे थे जिन्हें या तो शिजियांग में डिटेन किया गया था या फिर उन्होंने वहां काम किया था। इंटरव्यू देने वालों ने शिजियांग में होने वाली चीनी अमानवियता की कहानियां सुनाईं। कुछ ने बताया कि उन्हें कुर्सी से बांधकर डंडे से पीटा जाता था। पूछताछ के दौरान चेहरे पर पानी डाला जाता था। न तो उन्हें कुछ खाने को दिया जाता था न ही सोने दिया जाता था। यहां तक कि उन पर अपनी मातृभाषा में बोलने, नमाज पढ़ने तक की रोक थी। उनसे जबरन देशभक्ति वाले गाना गाने को कहा जाता था। लगातार उन लोगों की निगरानी होती थी।
अल्पसंख्यकों के साथ होता है यौन उत्पीड़न
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक इंटरव्यू देने वाले कुछ लोगों ने अपने साथ यौन उत्पीड़न होने की भी बात बताई। किसी को जबरन नग्न किया गया तो किसी के साथ दुष्कर्म हुआ। किसी के साथ यौन हिंसा हुई तो किसी को जबरन इंजेक्शन और दवाइयां खिलाई गईं। जिन लोगों को इंजेक्शन लगाया जाता था या दवाई खिलाई जाती थी उन्हें यह तक नहीं बताया जाता था कि उन्हें किस चीज की दवा दी जा रही है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया कि अल्पसंख्यक को प्रताड़ित करने के लिए नए नियम लागू किए गए हैं। चीन ने महिलाओं के हिजाब पहनने, पुरुषों को असामान्य रूप से दाढ़ी बढ़ाने, बच्चों को मुस्लिम नाम देने और रमजान के दौरान रेस्टोरेंट बंदन करने जैसी गतिविधियों पर रोक लगा रखी है। यहां तक कि सार्वजनिक कार्यक्रमों, शैक्षिक ग्रंथों और नारों में भी उइगर भाषा के इस्तेमाल पर रोक है।
उइगरों के साथ क्या-क्या अत्याचार करते हैं चीनी?
ये पहली बार नहीं है जब किसी रिपोर्ट में इस तरह के आरोप चीन पर लगे हैं। कई रिपोर्ट्स का दावा है कि जिस री एजुकेशन कैंप में उइगरों को रखा जाता है, वहां महिलाएं और बच्चियों से रेप होता है। कई रिपोर्ट्स के अनुसार कैदियों को कई-कई दिन तक भूखा भी रखा जाता है। इसके अलावा कैदियों की जबरदस्ती नसबंदी भी की जाती है। कैदियों को कोड़ों-लात, घूसों से पीटा जाता है। कई-कई दिन तक उन्हें सोने नहीं दिया जाता है। छोटे बंकरों में भूखे-प्यासे कैद कर दिया जाता है। अगर कोई भागने की कोशिश करता है तो उसे तुरंत गोली मार दी जाती है।
क्या कहना है चीन का?
उइगर मुसलमानों को प्रताड़ित करने की खबर दुनियाभर में चर्चा में रही है। चीन इन आरोपों को हमेशा नकारता रहा है। चीन कहता है कि इस कैंप में उइगर और दूसरे तुर्की अल्पसंख्यकों को शिक्षित किया जाता है। जिनसे वह कट्टरपंथ, चरमपंथ और अतिवाद के खतरों से बच सकते हैं।
रिपोर्ट सामने आने में क्यों हुई देरी?
पश्चिमी देशों के कुछ मानवाधिकार समूहों का कहना था कि चीन अपनी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाली इस रिपोर्ट को न छापने का दबाव बना रहा था। शायद इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने में देरी की एक वजह ये हो सकती है। ये बेशलेट के चार साल के कार्यकाल खत्म होने के 13 मिनट पहले सार्वजनिक की गई हैं।
चीन क्यों करता है उइगर मुसलमानों से नफरत और क्या है स्थिति?
चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों की सबसे बड़ी आबादी रहती है। कथित तौर पर ऐसा कहा जाता है कि ये चीन से अलग होना चाहते हैं। चीन को यही डर सता रहा है। चीन में उइगरों को काफी अमानवीय यातनाएं दी जाती हैं। हालांकि, उइगर मुसलमानों की संख्या बहुत बड़ी है। ये लोग मजदूरी करते हैं। ऐसे में चीन इन्हें कहीं भगाना नहीं चाहता है।

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