भीमा कोरेगांव एलगार परिषद मामले में वरवरा राव को मिली ज़मानत

मुंबई, पीआर ब्यूरो :- आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने 2018 के महाराष्ट्र की भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में आज आरोपी कवि वरवरा राव को स्वास्थ्य के आधार पर नियमित जमानत दे दी। इससे पहले उन्हें अंतरिम जमानत दी गई थी। अंतरिम जमानत को नियमित जमानत में बदलने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने शर्त रखी कि राव ट्रायल कोर्ट की मंजूरी बिना शहर नहीं छोड़ें। राव गवाहों से संपर्क करने की कोशिश न करें। इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने 83 साल के बुजुर्ग कवि राव की याचिका ठुकरा दी थी। राव ने बॉम्बे हाईकोर्ट से खराब स्वास्थ्य के आधार पर नियमित जमानत मांगी थी, जिसे उसने 13 अप्रैल को खारिज कर दी थी। इसके बाद राव ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
वरवरा राव को 28 अगस्त, 2018 को हैदराबाद में उनके घर से गिरफ्तार किया गया था। उनके व अन्य के खिलाफ भीमा कोरेगांव मामले में पुणे पुलिस ने 8 जनवरी, 2018 को विश्रामबाग पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया था। यह केस भादंवि की विभिन्न धाराओं और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दायर किया गया था।

न्यायमूर्ति यू यू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने राव को जमानत देते हुए कहा कि वह किसी भी तरह से स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करेंगे। राव को शुरू में नजरबंद रखा गया था, लेकिन 17 नवंबर, 2018 को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। बाद में उन्हें मुंबई की तलोजा जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था।
क्या था मामला
यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एलगार परिषद के सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है। इसके अगले दिन पुणे के बाहरी इलाके में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई थी।
हिंसा का सीधा संबंध हिंदुत्ववादी नेता एकबोटे एवं भिड़े से था, बावजूद दोनों को मामले में मुक्त कर दिया था। जिसके बाद पुणे पुलिस ने यह दावा किया था कि यह सम्मेलन कथित माओवादी संपर्क वाले लोगों ने आयोजित किया था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मामले की जांच अपने हाथ में ली थी।

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