सहजन की खेती से लाखों की कमाई

भारत के विभिन्न भागों में सहजन के पेड़ आसानी से देखे जा सकते हैं. ये गरमी के मौसम के शुरुआती समय में फल्ली के रूप में फल देना शुरू कर देते हैं. इस के फल पेड़ पर कई दिनों तक रहते हैं और जल्दी खराब भी नहीं होते हैं.

इस पेड़ की फल्ली व पत्ती में कार्बोहाइडे्रट, प्रोटीन, विटामिन-ए, बी व सी, कैल्शियम, फास्फोरस व लौह तत्त्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. इस की एक ग्राम फल्ली में नारंगी से 4 गुना ज्यादा विटामिन-सी, गाजर से 4 गुना ज्यादा विटामिन-ए, दूध से 4 गुना ज्यादा कैल्शियम, केले से 3 गुना पोटैशियम, जई से 4 गुना ज्यादा रेशा व पालक से 9 गुना ज्यादा लोहा पाया जाता है.

सहजन के बीज

बीजों से 40 फीसदी खाद्य तेल निकलता है, जो गुणवत्ता में ओलिव औयल के समान होता है. बीजों के चूर्ण का उपयोग गंदे पानी को फिटकरी के मुकाबले ज्यादा साफ करता है और बैक्टीरिया को हटाता है. मलावी और अफ्रीका में इस के बीजों से बड़े पैमाने पर पानी साफ किया जाता है.

सहजन के बीजों का तेल सूखी त्वचा के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो एक मौश्चराइजर का काम करता है. इस का पेस्ट बना कर खुरदुरी और एलर्जिक त्वचा को बेहतर बनाया जा सकता है.

इतना ही नहीं, इस के बीजों का तेल शिशुओं की मालिश के लिए इस्तेमाल किया जाता है. त्वचा साफ करने के लिए सहजन के बीजों का सत्त्व कौस्मैटिक उद्योगों में बेहद लोकप्रिय है.

घरेलू कामों में इस्तेमाल

महिलाएं सहजन से कई प्रकार की सब्जियां बनाती हैं. इस के फूलों को भी कई जगहों पर खाने में इस्तेमाल किया जाता है. कुछ लोग इस की फल्ली को दाल में डाल कर पका कर भी सेवन करते हैं.

सहज के पेड़ की छाल के रेशों से कागज, चटाई, रस्सी व दूसरे सामान बनाने के उपयोग में लाया जाता है. सहजन की बड़ी फलियां पानी की टंकी में डालने से पानी में सभी तरह के कीटाणुओं को मार कर जल को साफ कर देता है.

पशुओं के लिए लाभकारी

सब्जी के रूप में उपयोग किए जाने वाले सहजन अब दुधारू पशुओं के लिए हाइजैनिक फूड की तरह इस्तेमाल किए जा रहे हैं. आईसीएआर के एक शोध से पता चला है कि सहजन के प्रयोग से पशुओं के दूध में दोगुनी वृद्धि होती है. यह पशुओं का बांझपन रोग भी खत्म करने में सक्षम औषधि है. दुधारू पशुओं के लिए सहजन को हरा चारा या सूखे पाउडर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.

सहजन का अचार

एकदम कच्ची और बिना बीज वाली नरमनरम सहजन की फलियों से अचार बनाया जाता है, जो खाने में बहुत स्वादिष्ठ होता है. दूसरे फलों की तरह इस का अचार बना कर बिना मौसम स्वाद लिया जा सकता है.

सामग्री : सहजन की फल्ली 300 ग्राम, नमक स्वादानुसार, सरसों का तेल 1/3 कप, हींग 2-3 चुटकी, हलदी पाउडर 1 छोटा चम्मच, सौंफ पाउडर 1 छोटा चम्मच, लाल मिर्च पाउडर 1/4 छोटा चम्मच, काली मिर्च पाउडर 1/4 छोटा चम्मच, पीली सरसों दरदरी पिसी हुई 2 छोटा चम्मच, सिरका 1 चम्मच.

अचार बनाने की विधि
सारी फलियों को धो कर एक इंच तक लंबा काट कर सुखा लें. अब एक चम्मच नमक डाल कर एक डब्बे में बंद कर 3 दिनों तक के लिए रख दें और हर रोज एक बार हिला दें.

3 दिन बाद अचार बनाने की प्रक्रिया शुरू करें. इस के लिए तेल को किसी पैन में तेज गरम कर के उतार कर हलका ठंडा कर के इस में हींग, हलदी पाउडर, सौंफ पाउडर डाल कर मिला लें, फिर सहजन की फली डाल कर मिला दें.
नमक, लाल मिर्च पाउडर, सरसों पाउडर और काली मिर्च पाउडर डाल कर मिलाएं और सिरका भी डाल दें. एक हफ्ते बाद इस का इस्तेमाल करें और इसे आप 2 महीने तक इस्तेमाल में ला सकते हैं.

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