बालिग सेक्स वर्कर्स को भी मौलिक अधिकार वे जहां चाहें वहां रहें – न्यायालय

मुंबई, पीआर ब्यूरो :- मुंबई की एक सत्र अदालत ने कहा है क‍ि वयस्क सेक्‍स वर्कर्स जिन्‍हे पुलिस ने बचाया था, वे जहां चाहें, वहां रह सकते हैं। अपनी पसंद की जगह रहना और व्‍यवसाय चुनना सबका मौलिक अध‍िकार है। उनकी इच्‍छा के ख‍िलाफ उन्‍हें सुधारात्मक संस्थान में रहने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एबी शर्मा ने मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि चारों महिलाओं को देवनार बचाव गृह से रिहा किया जाना चाहिए
मई में मजिस्ट्रेट अदालत ने कहा कि महिलाओं को एक साल के लिए हिरासत में रखने के बाद महिलाओं ने सत्र अदालत में अपील दायर की थी। सत्र अदालत ने कहा कि मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द करने की जरूरत है। न्यायाधीश ने कहा, ‘लगभग दो महीने हो गए हैं कि पीड़ितों को उनकी इच्छा के खिलाफ सुधार गृह में रखा गया है। मजिस्ट्रेट को आदेश पारित करने से पहले पीड़ितों की इच्छा और सहमति पर विचार करना चाहिए था।’
मजिस्ट्रेट ने परिवीक्षा अधिकारी, बचाव गृह और एक चिकित्सा अधिकारी की रिपोर्ट पर विचार किया। मजिस्ट्रेट ने आदेश पारित करते हुए कहा कि पीड़ित पश्चिम बंगाल से हैं और उनकी हिरासत का दावा किसी ने नहीं किया है, इसलिए, उन्हें उनके मूल राज्य में भेजने की आवश्यकता है।

न्यायालय – फाइल फोटो

मजिस्ट्रेट ने बचाव गृह को महिलाओं को पश्चिम बंगाल स्थानांतरित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया। पश्चिम बंगाल में बचाव गृह को भी महिलाओं को सलाह देने और उनका समझाने का निर्देश दिया गया था ताकि वे भविष्य में देह व्यापार से खुद को अलग कर सकें।

उनके वकील ने सत्र अदालत को आश्वासन दिया कि वह अनैतिक गतिविधियों में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कोर्ट से उनकी रिहाई का आदेश देने का अनुरोध किया। अभियोजन पक्ष ने याचिका का विरोध किया और आशंका व्यक्त की कि रिहा होने के बाद महिलाओं को भी इसी तरह का रोजगार मिलेगा। सत्र अदालत ने कहा कि उन्हें रिहा करने से पहले उनकी इच्छाओं का पता लगाया जाना चाहिए कि वे बचाव गृह में रहना चाहते हैं या नहीं।

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