भ्रामकता भरे दौर में, सत्य का अहसास है सत्यशोधक…

पीआर न्यूज ब्यूरो, नागपुर :- 5 जनवरी को सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो रही सत्यशोधक प्रेक्षकों के लिए जीता जागता एहसास है. अभिनेता संदीप कुलकर्णी ने कहा कि महात्मा ज्योतिबा फुले व सावित्रीबाई फुले दंपत्ति का काम बहुत बड़ा है. उस दौरान रुढ़िवादी समाज के विरुद्ध महिला शिक्षा के लिए उनका संघर्ष अद्वितीय है. उनके संघर्ष के कारण ही आज महिलाओं को सम्मान का स्थान मिला है. लेकिन वर्तमान दौर भी असमंजस की स्थिति में है और इस स्थिति में दिशा दिखाने का काम ‘सत्यशेधक’ करेगा.
फिल्म का प्रमोशन करने आए कुलकर्णी ने गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत की. उन्होंने कहा कि हर महिला को संघर्ष और विरोध के माध्यम से सीखना चाहिए, इस बात पर जोर देकर स्वयं शिक्षा के यज्ञकुंड में प्रवेश करने वाले महात्मा ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित एक शानदार फिल्म ‘सत्यशोधक’ रिलीज हो रही है. उन्होंने कहा कि इस दंपत्ति की जिंदगी पर फिल्म बनाना बेहद मुश्किल और जिम्मेदारी भरा काम है. जातिगत भेदभाव, धार्मिक कट्टरता के युग में महिलाओं की शिक्षा के लिए ज्योतिसावित्री को समाज की कठिनाइयां और कष्टों को सहन करना पड़ा. लेकिन ये जोड़ी पीछे नहीं हटी. ज्योतिबा ने कृषि एवं निर्माण के क्षेत्र में काफी कार्य किया. संदीप कुलकर्णी ने कहा कि इन दोनों के रिश्ते और व्यक्तित्व पहलू को उजागर करना चुनौतीपूर्ण है. इस फिल्म को बनाने में 6 साल से अधिक का समय लगा. उन्हें लगा कि यह सिर्फ एक फिल्म नहीं बल्कि एक अनुभव है और समाज को इसे अपनाने की जरूरत है. विश्वास व्यक्त किया कि ये फिल्म न केवल उपदेश देगी बल्कि ज्योतिबा और सावित्रीबाई के कार्यों को जीवंत करेगी. फिल्म प्रमोशन के लिए आयोजित पत्र परिषद में निर्माता राहुल वानखेड़े, हर्ष तायडे, कंचन वानखेड़े उपस्थित थे.

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