‘शिवसेना पार्टी प्रमुख बने उद्धव ठाकरे का चुनाव अवैध’!


विधायक अयोग्यता सुनवाई के दौरान जेठमलानी ने दी दलील

पीआर न्यूज ब्यूरो, मुंबई :- विधानसभा अध्यक्ष के सक्षम जारी शिवसेना विधायक अयोग्यता की सुनवाई अहम चरण में है। गुरुवार को वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने सीधे तौर पर ठाकरे गुट के नेता सुनील प्रभु से जिरह के दौरान शिवसेना पार्टी प्रमुख पद पर ही सवाल उठाया। उनकी ओर से यह तर्क दिया गया कि शिवसेना ‘पार्टी प्रमुख’ के रुप में उद्धव ठाकरे का चुनाव वैध नहीं था। क्योंकि शिवसेना का संविधान ऐसे चुनाव की अनुमति नहीं देता है।
गुरुवार को हुई सुनवाई में ठाकरे गुट की ओर से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को भेजे गए पत्र से लेकर शिवसेना के संविधान तक सुनील प्रभु को परेशानी में डालने की कोशिश जेठमलानी की ओर से की गई। लेकिन प्रभु ने भी दो टूक जवाब देने का रुख अपनाया। उन्होंने ज्यादातर सवालों पर कहा, ‘यह रिकॉर्ड पर है, यह गलत है।’ इन जवाबों से हैरान जेठमलानी ने प्रभु की तुलना पूर्व क्रिकेटर राहुल द्रविड़ से कर दी।

पार्टी विरोधी गतिविधियों पर कार्रवाई का अधिकार पार्टी प्रमुख को : प्रभु

एकनाथ शिंदे को दिए गए पत्र के आधार पर उन्होंने सवाल किया कि क्या पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए कार्रवाई करने से पहले विधायकों को क्या अपने विचार व्यक्त करने का समय दिया गया था? इस पर प्रभु ने जवाब दिया कि उन्हें याद नहीं है। यह पूछे जाने पर कि अगर इन विधायकों ने पार्टी विरोधी काम किया है, तो क्या उन्हें हटाना जरूरी था? तो प्रभु ने कहा कि उन्हें हटाना जरूरी था। पार्टी प्रमुख को उनके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है।

क्या कोई और बन सकता है पार्टी प्रमुख?

वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने सवाल पूछा कि, शिवसेना के संविधान के मुताबिक क्या ठाकरे परिवार के अलावा किसी और को पार्टी प्रमुख बनाया जा सकता है? कोई और पार्टी प्रमुख के पद पर आसीन हो सकता है? प्रभु ने जवाब दिया कि यह रिकॉर्ड में है। यह पूछे जाने पर कि क्या आप जैसा योग्य सदस्य पार्टी प्रमुख बन सकता है? प्रभु ने कहा कि पार्टी प्रमुख की नियुक्ति संविधान के अनुसार होती है। प्रतिनिधि सभा बुलाकर यह भी तय किया जाता है कि पार्टी प्रमुख का पद कौन संभालेगा।
ज्ञात हो कि शिवसेना के विधायकों की अयोग्यता का मामला सुप्रीम कोर्ट से विधानसभा अध्यक्ष के पास पहुंचा है। मामला निपटारे के लिए विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को सुप्रीम कोर्ट से ३१ दिसंबर तक का समय मिला हुआ है। जिस वजह से तेजी से सुनवाई ली जा रहीं हैं। बावजूद इसके ३१ दिसंबर तक विधायकों की अयोग्यता पर रिजल्ट आना असंभव प्रतित हो रहा है।

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