पीआर न्यूज ब्यूरों, पटना :- बिहार सरकार अब जांच कराए या यह दावा करे कि पुल गिरने की आशंका पहले ही थी, आमजन कोई तर्क स्वीकारने को तैयार नहीं है। आज का विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी भी नीतीश सरकार में गाहे बगाहे शामिल रहा अब भ्रष्टाचार पर सरकार को घेरना भी जनता के गले नहीं उतर रहा। आम जनता द्वारा वायरल की जा रही सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल के ढहने की तस्वीर लगाकर सरकार को ट्रोल कर रही है। नौ साल से यह पुल एक कंपनी बना रही है और कुल लागत की 10% राशि दो साल के अंदर गंगा में समाती दिख चुकी है।
बिहार में कई प्रोजेक्ट हैं एसपी सिंगला कंपनी के पास
गंगा नदी पर बन रहे सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल को दूसरी बार लोगों ने ढहते देखा। करीब 3160 मीटर लंबे निर्माणाधीन पुल का लगभग 600 मीटर हिस्सा, यानी करीब 20% गंगा में समा चुका है। अप्रैल 2022 में करीब 200 मीटर और इस बार लगभग 400 मीटर नदी में समाया है। इस पुल के निर्माण का टेंडर एसपी सिंगला कंपनी के नाम खुला था। 2014 से पुल ‘निर्माणाधीन’ ही है। कुछ दिनों पहले ही आठवीं और कथित तौर पर अंतिम डेडलाइन मिली थी 31 दिसंबर 2023 की। इससे पहले इसी माह के अंत तक पुल का निर्माण कार्य पूरा करने की डेडलाइन थी। पटना आउटर रिंग रोड, सिमरिया के नए सेतु समेत इस कंपनी को बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कई ड्रीम प्रोजेक्ट मिले हुए हैं। तारीख-दर-तारीख बढ़ती रहती है और कार्रवाई नहीं होने के कारण सवाल उठते रहते हैं, लेकिन इसपर न तो सरकार सीधे तौर पर कुछ कहती है और न कंपनी के अधिकारी मीडिया से बात करते हैं।
1710 करोड़ से भी ज्यादा हो जाएगी लागत?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस पुल के दूसरी बार गिरने से बिफरे हुए हैं। रविवार को उन्होंने जांच के आदेश दिए और सोमवार को दोषियों पर कार्रवाई का निर्देश दिया। “पुल को गिरना ही था”- उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की बात से इत्तेफाक नहीं रखते हुए मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि पहली बार गिरने पर भी जांच कराने कहा था, इस बार तत्काल जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। बिहार में निर्माणकारी एजेंसी पर कार्रवाई के कारण प्रोजेक्ट की राशि बढ़ने के भी केस हो चुके हैं और अगर मुख्यमंत्री के निर्देश पर दोषी एजेंसी पर कार्रवाई हुई तो लागत राशि बढ़ने की खबर भविष्य में आ सकती है।