महाराष्ट्र में पहली डिजिटल लोक अदालत 12 नवंबर 2022 को…

पीआर न्यूज, मुंबई :- पहली डिजिटल लोक अदालत 12 नवंबर, 2022 को आगामी लोक अदालत के साथ इतिहास दोहराने के लिए तैयार है, क्योंकि भारतीय न्याय प्रौद्योगिकी (जसटेक) ने राजस्थान और महाराष्ट्र राज्यों में एक करोड़ से अधिक मामले दर्ज किए हैं. जुलाई 2022 में लॉन्च होने के बाद से, भारतीय न्याय प्रौद्योगिकी (जसटेक) द्वारा डिजाइन और विकसित डिजिटल लोक अदालत पंजीकृत हो गई है. राजस्थान और महाराष्ट्र राज्यों में (11 नवंबर, 2022 तक) एक करोड़ से अधिक मामले दर्ज हो सकते हैं.
13 अगस्त, 2022 को आयोजित पहली लोक अदालत के दौरान जुपिटिस ने अपने डिजिटल लोक अदालत प्लेटफॉर्म के साथ राजस्थान और महाराष्ट्र के राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरणों को अपनी तकनीकी सहायता प्रदान की, जबकि पहले आयोजित डिजिटल लोक अदालत ने राज्यों को 83 करोड़ 35 लाख 13 हजार 857 रुपए की रिकॉर्ड राशि का निपटान करने में मदद की. आगामी डिजिटल लोक अदालत से पहलेकी रिपोर्ट की गई निपटान राशि को पार करने की उम्मीद है.
डिजिटल लोक अदालत में ये मामले किए गए दर्ज
आगामी डिजिटल लोक अदालत में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान और महाराष्ट्र राज्य में पूर्व मुकदमेबाजी और चालान सहित 80 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं. बयान में कहा गया है कि दर्ज मामलों में पैसे की वसूली, बिजली बिल और अन्य बिल भुगतान, दूरसंचार विवाद और बैंक मुकदमेबाजी से संबंधित विवाद शामिल हैं.
पहली डिजिटल लोक अदालत की सफलता के बाद, राजस्थान राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (आरएसएलएसए) ने आगामी लोक अदालत के लिए जुपिटिस के साथ फिर से सहयोग किया है. अगस्त में लोक अदालत के डिजिटलीकरण के कारण मामलों की रिकॉर्ड संख्या का पंजीकरण हुआ और राजस्थान के सदस्य सचिव दिनेश कुमार गुप्ता ने कहा कि ‘बैक-एंड प्रशासनिक कार्य को भी आसान बनाया.’

राजस्थान और महाराष्ट्र में कुल 568 पीठों का गठन
पहली डिजिटल लोक अदालत के दौरान, राजस्थान और महाराष्ट्र ने कुल 568 पीठों का गठन किया, जिसमें कुल 13,54,432 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से कुल 11,16,193 मामलों को पूर्व-मुकदमेबाजी चरण में हल किया गया. महाराष्ट्र में डिजिटल लोक अदालत में कुल 63,99,983 ट्रैफिक चालान के मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 58,10,712 ट्रैफिक चालान के मामले प्लेटफॉर्म पर हल किए गए.
भारत भर में कानूनी सेवा प्राधिकरण जुपिटिस के संस्थापक और सीईओ रमन अग्रवाल ने कहा कि राजस्थान और महाराष्ट्र कानूनी सेवा प्राधिकरण के सहयोग से जुपिटिस को अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना- न्याय घर घर (प्रत्येक नागरिक के दरवाजे पर न्याय प्रदान करना) का नेतृत्व करने में मदद मिली है. हमें विश्वास है कि आगामी लोक अदालतों में जुपिटिस भी अधिक राज्यों के साथ सहयोग करेगा.

लोक अदालत के डिजिटल परिवर्तन से लोगों को मिलेगा लाभ
लोक अदालतों का यह सुनिश्चित करने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक होने का एक लंबा इतिहास रहा है कि प्रत्येक व्यक्ति को न्याय प्राप्त हो. लोक अदालत के डिजिटल परिवर्तन ने इसे शामिल सभी पक्षों के लिए अधिक सुलभ, प्रभावी और एर्गोनोमिक बना दिया है. पहली डिजिटल लोक अदालत की सफलता ने यह भी साबित कर दिया है कि डिजिटल परिवर्तन ने न केवल सभी के लिए न्याय तक पहुंच को बढ़ाया है बल्कि पूरे देश में न्याय की आसानी भी प्रदान की है.

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