शिक्षक हैं बढ़ते भारत की बुलंद इमारत में नीव के पत्थर…

संपादकीय :- आज भारत तरक्की पर है, दिन ब दिन विश्व में भारत की साख मजबूत होती जा रही है. विज्ञान, व्यापार, खेल, मनोरंजन, शोध, कला, संस्कृति और सुरक्षा हर क्षेत्र में भारत सफल हो रहा है. लेकिन इस सफलता की भव्य इमारत जिस नीव के पत्थर पर टिकी है उसका नाम है शिक्षक!. शिक्षक एक ऐसा व्यक्ति है जो भारत को तैयार कर रहा है, आंगनबाड़ी शिक्षक से लेकर यूनिवर्सिटी प्राध्यापकों तक सभी भारत को सफल बनाने हेतु अपना योगदान परदे के पीछे से दे रहे है. जी हां परदे के पीछे इसीलिए कहा क्योंकि हर सफल व्यक्ति के पीछे किस शिक्षक का हांथ है यह हमे शायद ही पता चल पता है. लेकिन शिक्षक अपने कार्य में निरंतर लगे रहते है. इस बात की परवाह किए बिना की उनको क्रेडिट मिलेगा या नहीं?. असल में वह वाकई नीव के पत्थर है जो कभी दिखाई नहीं देता और जिसके बिना इमारत बुलंद हो नही सकती. लेकिन आज के दिन हर्ष की बात है की उन सभी नीव के पत्थर याद किए जाते है जिनका होना इस समाज के लिए अतिआवश्यक है. लेकिन सिर्फ आज के ही दिन नही बल्कि हमारा प्रयास यह होना चाहिए की हम शिक्षकों को प्रथम स्थान दें. हर विकसित देश इसीलिए विकसित है क्योंकि वहां शिक्षा और शिक्षकों को प्रथम श्रेणी सम्मान प्राप्त है. उनको अच्छा वेतन अच्छी सुविधाएं और वह मान दिया जाता है, जैसे वाकई वह देश का निर्माण कर रहे हैं. मुझे उम्मीद है हमारा देश भी शिक्षा और शिक्षकों के हित में अवश्य कार्य करेगा और हम सभी को हमारे राष्ट्रिय शिक्षकों पर गर्व होगा.

अतिथि संपादक
प्रो. पर्व परमार
शिक्षक एवं प्रेरक वक्ता, एमपी

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