मुकुल सूर्यवंशी, संपादकीय :- राज्य में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री कार्यालय को छोड़कर किसी भी मंत्री या राज्यमंत्री कार्यालय के लिये ओएसडी का पद स्वीकृत नहीं हैं. इसके बावजूद नए मंत्री अपने लिये ओएसडी नियुक्त करने का मोह कहीं छोड़ रहे. मंत्रियों के लिए विशेष कार्य अधिकारी समान्य प्रशासन विभाग के दिशा-निर्देशों में (ओएसडी) का पद स्वीकृत नहीं फिर भी कुछ मंत्री या राज्यमंत्री के कार्यालय में ओएसडी नियुक्त होने की जानकारी सामने आ रही है. मंत्रियों के कार्यालय में ओएसडी नियुक्त करने का उल्लेख नहीं किया गया है. खुद मंत्री सरकार के दिशा- निर्देशों का पालन न करके निश्चित ही सरकारी निर्देशों की अवहेलना कर रहे हैं.
समान्य प्रशासन विभाग की ओर से मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री के लिये ओएसडी नियुक्त करने की सिफारिश की गई लेकिन अन्य मंत्रियों के लिये कोई सिफारिश नहीं की गई.
कितने कर्मचारी मिलते हैं मंत्रियों को
राज्य के सभी मंत्रियों के कार्यालय में 1 निजी सचिव, 3 निजी सहायक, 2 स्टेनो, 2 टाइप राइटर, 1 ड्राइवर, 5 नाईक, चपरासी और संदेश वाहक ही नियुक्त कर सकते हैं. बावजूद अधिकतर मंत्रियों ने अपने कार्यालय की नियुक्तियों को लेकर जो सूची समान्य प्रशासन विभाग को भेजी उसमें ओएसडी पद भी दिया गया है. यह पूरा मामला ही गैर-कानूनी है.
निजी सहायक, स्टेनो, लिपिक, चपरासी जैसे स्वीकृत पदों को बदलकर अवैध रूप से ओएसडी नियुक्त किए जाने पर इन लोगों को उपजिलाधिकारी, अतिरिक्त जिला -धिकारियों का वेतन दिया जाता है जिससे राज्य पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा.
क्या मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री मंजूरी देंगे?
विभिन्न मंत्रियों द्वारा अपने कार्यालय में कर्मचारियों की नियुक्ति करने के लिए एक प्रस्ताव सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा जाता है. वहां से उसे वित्त विभाग में भेजा जाता है. वित्त विभाग की मंजूरी के बाद ही सामान्य प्रशासन विभाग स्वीकृति प्रदान करता है. वित्त विभाग फिलहाल उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास है. अब देखना है कि वे क्या करते है. दिलचस्प बात यह है कि सामान्य प्रशासन विभाग मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पास है.