सीजेआई बनते ही एक्शन में यू यू ललित, छोटे कार्यकाल में बढ़ा काम करने की कोशिश…

पीआर न्यूज ब्यूरों, नई दिल्ली :- सीजेआई बनते ही यू यू ललित एक्शन मोड़ पर हैं और अपने छोटे कार्यकाल में बढ़ा काम करने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं। सोमवार को अदालत में अपने पहले दिन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित ने 900 से अधिक याचिकाओं को सूचीबद्ध करके एक प्रभावशाली प्रदर्शन निर्धारित किया है। इन याचिकाओं में मुख्यतः कर्नाटक हिजाब विवाद, केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन की जमानत, गौतम नवलखा समेत कई मामले शामिल हैं। ज्ञात हो कि जस्टिस यूयू ललित का सीजेआई के तौर पर सोमवार को पहला कार्य दिवस है। उन्होंने शनिवार को देश के 49वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ली थी, लेकिन शनिवार और रविवार को न्यायालय में कामकाज नहीं होता है। शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड की गई सुनवाई सूची के अनुसार, अदालत कक्ष संख्या एक में सोमवार को सीजेआई ललित की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट पीठ शामिल होंगे।
15 बेंच में प्रत्येक को 60 मामले, कम समय में सुलझाना होगा मामला
रोस्टर के रूप में सीजेआई ने 15 बेंच में प्रत्येक को लगभग 60 मामले सौंपे हैं यानी कि कुल 900 मामले की सुनवाई होनी है। इन याचिकाओं से निपटने के लिए सुबह 10.30 बजे से शाम 4 बजे तक अधिकतम 270 मिनट का आधिकारिक व्यावसायिक समय मिलेगा। इसका मतलब है, औसतन एक मामले को निपटाने में चार मिनट से थोड़ा अधिक समय मिलेगा, जिसके दौरान याचिकाकर्ता के वकील को न्यायाधीशों को यह समझाना होता है कि उन्हें याचिका पर विचार क्यों करना चाहिए, विपरीत पक्ष से जवाब मांगना चाहिए और अंतरिम राहत भी देनी चाहिए। जस्टिस एमआर शाह की अगुवाई वाली बेंच को सबसे ज्यादा 65 याचिकाएं सौंपी गई हैं।
इन्हें मिली अहम केस की जिम्मेदारी
सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ एनआईए के खिलाफ गौतम नवलखा और यूपी सरकार के खिलाफ सिद्दीकी कप्पन की याचिकाओं पर भी सुनवाई करेगी। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की अगुवाई वाली पीठ हिजाब प्रतिबंध की चुनौती पर सुनवाई करेगी, जबकि न्यायमूर्ति संजय के कौल की अगुवाई वाली पीठ मुसलमानों के बीच सभी एकतरफा तलाक के रिवाजों पर प्रतिबंध लगाने की याचिका पर सुनवाई करेगी।

सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई पद की शपथ ग्रहण करते यूयू ललित – फाइल फोटो


कई अहम फैसलों का हिस्सा रहे हैं जस्टिस ललित
जस्टिस यूयू ललित सुप्रीम कोर्ट के कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं। तीन तलाक को असंवैधानिक करार देने वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के भी सदस्य थे। जस्टिस ललित की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने त्रावणकोर के तत्कालीन शाही परिवार को केरल के ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का प्रबंधन करने का अधिकार दिया था। यह सबसे अमीर मंदिरों में से एक है।
जस्टिस ललित की पीठ ने ही ‘स्किन टू स्किन टच’ पर फैसला दिया था। इस फैसले में माना गया था कि किसी बच्चे के शरीर के यौन अंगों को छूना या ‘यौन इरादे’ से शारीरिक संपर्क से जुड़ा कृत्य पॉक्सो अधिनियम की धारा-7 के तहत ‘यौन हमला’ ही माना जाएगा। पॉक्सो अधिनियम के तहत दो मामलों में बॉम्बे हाईकोर्ट के महिला न्यायाधीश के विवादास्पद फैसले को खारिज करते हुए जस्टिस ललित की पीठ ने कहा था कि हाईकोर्ट का यह मानना गलती था कि चूंकि कोई प्रत्यक्ष ‘स्किन टू स्किन’ संपर्क नहीं था इसलिए यौन अपराध नहीं है। इसके बाद नागपुर बेंच की महिला न्यायाधीश विवादों में घिरी रही जिसके कारण उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
जस्टिस ललित उस पीठ में भी थे, जिसने कहा था कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा-13 बी (2) के तहत आपसी सहमति से तलाक के लिए निर्धारित छह महीने की प्रतीक्षा अवधि अनिवार्य नहीं है। हाल ही में जस्टिस ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को अदालत की अवमानना के आरोप में चार महीने के कारावास और 2000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी।

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