अच्छे दिनों के आस में आर्थिक बर्बादी की ओर भारत!

मुकुल सूर्यवंशी, प्रधान संपादक :-

मशहूर कहावत है कि असलियत में सभी किरदारों को निभाया जा सकता हैं लेकिन अमीरी का किरदार कभी साकार नहीं किया जा सकता.
डॉलर के मुकाबले रुपये के गिरते मूल्य को संभालना अब आसान नहीं. डॉलर के मुकाबले एतिहासिक गिरावट के बाद रुपये का 80 के पार जा पहुंचना. शायद ही आम जनता को इसके नुकसान समझ न आये. लेकिन नुकसान सबसे ज्यादा आम आदमी का ही होने वाला है. क्योंकि मुद्रास्फीति की दर जब बढ़ती है तो महंगाई आसमान छूने लगती है और आपके जेब में रखे रुपये का मूल्यांकन कम होने के चलते आपकी आर्थिक जरूरतें पूरी करना मुश्किल हो जाता है.
ऐसा ही एक दिल दहलाने वाला मामला मंगलवार को दिन दहाड़े नागपुर घटित हुआ. रामराज भट नामक व्यक्ति ने आर्थिक परेशानियों से हार मानकर सामुहिक आत्महत्या करने के लिये अपनी बीवी एवं बेटे को लेकर कार में सवार होकर वर्धा रोड़ पर कार में बैठें – बैठें ही स्वयं पर एवं पत्नी बेटे पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी.
इस अग्निकांड में रामराज भट की मौके पर ही मौत हो गई. समय रहते कार से निकलने में सफल हुये पत्नी बेटे को तुरंत उपचार मिलने से उनकी जान तो बच गयी लेकिन उपचार जारी है.
यहीं हैं आर्थिक असमानता का जीता जागता सटीक उदाहरण. महंगाई किसी की जाती, धर्म और किसी पार्टी विशेष का प्रेम नहीं समझती. महंगाई सिर्फ रुपये का मूल्य समझती हैं. भारत के पड़ोसी मित्र देश श्रीलंका का हाल किसी से छुपा नहीं है. भारत का हाल ऐसा ना हो इसके लिए आप को असली देशभक्त बनकर बुराइयों का विरोध करना होगा नहीं तो कल रामराज भट था, आज कोई और होगा, कल आप भी हो सकते हैं.
सजग नागरिक बने, ‘अंधभक्तो’ की कोई कमी नहीं है.

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