IND vs ENG : वनडे सीरीज में जीता भारत

भारत और इंग्लैंड के बीच वनडे सीरीज का ज्यादा महत्व नहीं था, क्योंकि सभी का ध्यान फिलहाल टी – 20 पर है। ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी – 20 विश्व कप के लिए हर टीम तैयारी कर रही है। इसके बावजूद यह सीरीज बदलाव के दौर से गुजर रही भारतीय टीम के लिए कई मायनों में खास थी। धोनी के संन्यास के बाद अब तक भारत को अच्छे फिनिशर की तलाश थी, जो अब हार्दिक पांड्या पर जाकर खत्म होती नजर आ रही है। जडेजा ने भी अपनी बल्लेबाजी से काफी प्रभावित किया है, लेकिन उन्हे कुछ चीजें अभी भी बेहतर करनी हैं।
वनडे सीरीज में भारत ने इंग्लैंड को 2-1 से हराया जरूर है, लेकिन कई सवाल अभी भी टीम इंडिया के सामने हैं। इनके जवाब जरूरी हैं, क्योंकि अगले साल होने वाले विश्व कप के लिहाज से भी तैयारी जरूरी है। यहां हम बता रहे हैं कि इस सीरीज में भारत ने किन कमियों पर काम किया और कौन सी समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं।
परेशानी बने त्रिदेव
साल 2013 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज में रोहित शर्मा, शिखर धवन और विराट कोहली की तिकड़ी ने कमाल का प्रदर्शन किया था। भारत को सीरीज जिताने में इन तीनों का योगदान सबसे ज्यादा था। इसी सीरीज से इस तिकड़ी को त्रिदेव कहा जाने लगा था, लेकिन इस सीरीज इन्ही तीनों ने भारतीय टीम की चिंता बढ़ा दी है। पहले वनडे में रोहित और धवन ने शतकीय साझेदारी कर भारत को जीत जरूर दिलाई, लेकिन 110 रन का बचाव करते हुए इंग्लैंड के गेंदबाजों ने ना तो कोई लड़ने का जज्बा दिखाया था और ना ही भारतीय बल्लेबाजों पर कोई दबाव था। धवन इस मैच में काफी धीमे दिखे थे।

दूसरे और तीसरे वनडे में लक्ष्य 200 के पार था और दोनों बार भारत के शुरुआती चार बल्लेबाजों ने निराश किया। धवन, रोहित और कोहली जिम्मेदारी के साथ बल्लेबाजी नहीं कर सके। दूसरे वनडे में तो पूरी टीम ही 146 के स्कोर पर सिमट गई, लेकिन तीसरे मैच में हार्दिक और पंत ने पारी संभाल ली। धवन-रोहित और विराट को आने वाली सीरीज में रन बनाने होंगे और मैच जिताने होंगे। इन तीनों के बिना भारत का जीतना बहुत मुश्किल है। हर मैच में पांड्या और पंत से चमत्कार की उम्मीद करना गलत होगा।
मध्यक्रम में निरंतरता की कमी
मध्यक्रम में ऋषभ पंत, सूर्यकुमार यादव और हार्दिक पांड्या अच्छी लय में हैं, लेकिन अभी भी इन खिलाड़ियों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। पंत का खेल आक्रामक है और वो इसी अंदाज में खेलते हैं, लेकिन सूर्यकुमार और हार्दिक को ज्यादा निरंतरता दिखानी होगी। खासकर सूर्यकुमार को मध्यक्रम में लंबी साझेदारियां करनी होंगी। निचले क्रम में जडेजा भी अच्छी बल्लेबाजी कर रहे हैं, लेकिन वो पुछल्ले बल्लेबाजों के साथ ठीक से नहीं खेल पा रहे हैं। दूसरे मैच में उन्होंने शमी को जरूरत से ज्यादा स्ट्राइक पर रखा, जबकि उन्हें खुद जिम्मेदारी लेकर ज्यादा गेंदें खेलनी थी और भारत को लक्ष्य के करीब ले जाना था।

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