नई दिल्ली, पीआर ब्यूरो :- भारतीयों की जुबान में जान हैं लेकिन भारतीय मुद्रा ‘रुपये में नहीं. यहीं कारण है कि रुपया आज कल ऑक्सीजन पर चल रहा है. सत्ताधारी नेताओं के बेतुके बयानों से गिरे रुपये के बचाव और रुपये के गिरने के लिए पूर्ववर्ती सरकारों को कोसना या रुपये के लिए रिजर्व बैंक को जिम्मेदार ठहराना अपने आप में हँसी के पात्र हैं.
भारतीय मुद्रा ‘रुपया (INR)’ के लिए ये सबसे खराब दौर चल रहा है. रुपये की वैल्यू (Indian Rupee Value) पिछले कुछ समय के दौरान बड़ी तेजी से कम हुई है. रुपया लगातार एक के बाद एक नए निचले स्तर पर गिरता जा रहा है. मंगलवार को शेयर बाजारों (Share Market) में गिरावट के बीच रुपये ने गिरने का नया रिकॉर्ड बना दिया. रिजर्व बैंक (RBI) के हालिया प्रयासों के बाद भी रुपया संभल नहीं पा रहा है और मंगलवार को शुरुआती कारोबार में यह 1 डॉलर (USD) के मुकाबले पहली बार 80 रुपये से भी नीचे गिर गया.
इस साल अब तक इतनी गिरावट
इंटरबैंक फॉरेक्स एक्सचेंज (Interbank Forex Exchange) के कारोबार में रुपया शुरुआत में ही गिरकर डॉलर (USD) के मुकाबले 80 से नीचे खुला. रुपये के लिए 80 के लेवल को अहम साइकोलॉजिकल सपोर्ट माना जा रहा था. कई दिनों से ऐसा लग रहा था कि रुपया इस लेवल को तोड़कर गिरावट का नया रिकॉर्ड बना सकता है. आंकड़ों पर गौर करें तो इस साल अब तक रुपया करीब 7 फीसदी कमजोर हो चुका है. आज शुरुआती कारोबार में यह डॉलर के मुकाबले 80.0175 पर कारोबार कर रहा था. इससे पहले सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 79.9775 पर बंद हुआ था.
अब रुपये की वापसी मुश्किल
डॉलर के मुकाबले रुपये के गिरने का सिलसिला बदस्तूर जारी है. आसान भाषा में समझे तो आज 1 डॉलर के लिए 80 रुपये देनें पड रहे हैं. ऐसे में आने वाले समय में रुपये की वापसी के सभी रास्ते बंद हो जाने के साथ ही इसे 80 पर रोक कर रखना भी भारत सरकार एवं भारतीय रिजर्व बैंक के लिए आसान नहीं होगा.