सत्तापक्ष और विपक्ष के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार तय, जानें दोनों में क्या-क्या हैं समानताएं

नई दिल्ली, पीआर ब्यूरो :- उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए भाजपा नीत एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ के नाम का एलान करने के बाद विपक्षी दलों ने भी रविवार को अपने प्रत्याशी का एलान कर दिया। विपक्ष ने मार्गरेट अल्वा को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। उपराष्ट्रपति की कुर्सी के लिए विपक्ष और एनडीए के उम्मीदवारों जगदीप धनखड़ और मार्गरेट अल्वा में कई चीजें समान हैं। दोनों नेता राज्यपाल रहे हैं इसके अलावा दोनों केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं। इतना ही नहीं, दोनों कांग्रेस पृष्ठभूमि से आते हैं।

दोनों के बीच हैं ये समानताएं

जगदीप धनखड़ और मार्गरेट अल्वा दोनों के पास कानून की डिग्री भी है। दोनों ही नेता एक-एक बार लोकसभा सदस्य रहे हैं और दोनों का राजस्थान से संबंध रहा है। गौरतलब है कि भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार धनखड़ राजस्थान के मूल निवासी हैं, जबकि विपक्ष की उम्मीदवार अल्वा राजस्थान की राज्यपाल रही हैं।

उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सत्तापक्ष के जगदीप धनखड़ और विपक्ष की मार्गरेट अल्वा

कांग्रेस में रहे हैं दोनों नेता

राजनीतिक इतिहास में देखे तो जगदीप धनखड़ भाजपा में शामिल होने से पहले जनता दल और कांग्रेस में थे। इसके अलावा राजस्थान उच्च न्यायालय और फिर सर्वोच्च न्यायालय में एक वकील के रूप में काम का भी अनुभव उनके पास है। जबकि अल्वा ने गवर्मेंट लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की है और उनके पास धनखड़ से अधिक व्यापक विधायी अनुभव है।

मार्गरेट अल्वा रह चुकी हैं चार बार राज्यसभा सांसद

मार्गरेट अल्वा चार बार राज्यसभा सांसद रह चुकी हैं। इसके अलवा वे एक बार लोकसभा सदस्य भी रही हैं। जब केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सत्ता में थी, तब वे उत्तराखंड और राजस्थान की राज्यपाल रही हैं। इसके अलावा अल्वा राजीव गांधी और पी वी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली सरकारों में मंत्री भी थीं। वहीं, जगदीप धनखड़ पूर्व विधायक रहे हैं। इसके अलावा वे चंद्रशेखर सरकार में मंत्री रहे थे। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के फिर से सत्ता में आने के बाद साल 2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।

6 अगस्त को हैं चुनाव

उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अधिसूचना पांच जुलाई को जारी हो चुकी है। उम्मीदवार इसके लिए 19 जुलाई तक नामांकन दाखिल कर सकते हैं। चुनाव के लिए आयोग ने 6 अगस्त की तारीख तय की है। देश के मौजूदा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल 11 अगस्त को समाप्त हो रहा है।

क्या फर्क़ होता है राष्ट्रपति चुनाव और उपराष्ट्रपति चुनाव में?

उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति से होता है। संसद के दोनों सदनों के सदस्य इसमें हिस्सा लेते हैं। हर सदस्य केवल एक वोट ही डाल सकता है। राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचित सांसदों के साथ-साथ विधायक भी मतदान करते हैं लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में केवल लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही वोट डाल सकते है।

मनोनीत सांसद भी डाल सकते हैं वोट

राष्ट्रपति चुनाव में मनोनीत सांसद वोट नहीं डाल सकते, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में ऐसा नहीं है। उपराष्ट्रपति चुनाव में ऐसे सदस्य भी वोट कर सकते हैं। इस तरह से देखा जाए तो उपराष्ट्रपति चुनाव में दोनों सदनों के 790 निर्वाचक हिस्सा लेते हैं। इसमें राज्यसभा के चुने हुए 233 सदस्य और 12 मनोनीत सदस्यों के अलावा लोकसभा के 543 चुने हुए सदस्य और दो मनोनीत सदस्य वोट करते हैं। इस तरह से इनकी कुल संख्या 790 हो जाती है।

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