पीआर न्यूज, जयपुर :- राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा अभी महाराष्ट्र में चल रहीं हैं जो 18 नवंबर को मध्य प्रदेश में प्रवेश करने वाली हैं. वहीं मध्य प्रदेश से दिसंबर के पहले सप्ताह में राजस्थान में प्रवेश करेगी. लेकिन पिछले काफी समय से कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान में पार्टी के अंदर काफी उथल-पुथल मची हुई है. पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट समर्थक उन्हें राहुल गांधी के राजस्थान पहुंचने से पहले मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं. लेकिन गुजरात चुनाव के चलते राजस्थान में फेरबदल करना काँग्रेस के लिये हानिकारक हो सकता, इसी के चलते पार्टी राजस्थान मामले में शांत हैं. दरअसल राहुल की यात्रा का सबसे बड़ा हिस्सा राजस्थान में हाड़ौती क्षेत्र में रहेगा. हाड़ौती क्षेत्र के कांग्रेस नेताओं को पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का करीबी माना जाता है. उन्होंने पार्टी आलाकमान से राजस्थान में नेतृत्व के मुद्दे को हल करने का आग्रह किया है.
पायलट समर्थक नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी की अगुवाई वाली भारत जोड़ो यात्रा दिसंबर के पहले सप्ताह में हड़ौती से गुजरे उससे पहले इस विवाद का हल हो जाए. पिछले सप्ताह झालावाड़, कोटा और बूंदी में पार्टी नेताओं ने अपने जिलों में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और मांग करते हुए कहा कि राज्य के नेतृत्व सहित सभी लंबित मुद्दों को पार्टी विधायकों से एक-एक कर बातचीत के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए.
क्या कहना है पायलट समर्थकों का?
पायलट को सीएम बनाएं तभी सत्ता में आएंगे ऐसा पायलट समर्थकों का मानना है. कोटा ग्रामीण के लिए पार्टी के जिलाध्यक्ष सरोज मीणा ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ता पार्टी आलाकमान की ओर देख रहे हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव में केवल 12 महीने शेष हैं – इसलिए आलाकमान को जो भी फैसला करना है, जल्दी करे. आलाकमान को विधायकों से व्यक्तिगत रूप से बात करनी चाहिए और जिसे वे चाहते हैं उसे सीएम बनाएं. पायलट की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस उनके ही अधीन सत्ता में आएगी. उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की आलोचना की. उन्होंने कहा, मैं पिछले चार सालों से (उनसे) समय मांग रहा हूं, फिर भी मुझे अब तक समय नहीं मिला है.
राज्य में विधानसभा चुनाव होने में सिर्फ एक साल बाकी है, ऐसे में पायलट के समर्थकों को लगता है कि उन्हें सीएम के रूप में नियुक्त करने में और देरी नहीं होनी चाहिए. उनका मानना है कि यह 25 सितंबर को ही हो जाना चाहिए था. उस दिन, लगभग 90 पार्टी विधायकों ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक को छोड़ दिया था. इस बैठक में कहा जाता है कि पायलट को सीएम बनाने का प्रस्ताव रखा जाना था. क्योंकि गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए तैयार थे. हालाँकि, गहलोत के वफादारों ने विद्रोह कर दिया और सीएलपी की बैठक छोड़ दी थी. उन्होंने राजस्थान के अध्यक्ष सी पी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था.
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